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नींद में खर्राटे लेना गहरी नींद का नहीं बल्कि इस बीमारी का संकेत

Snoring and sleep apneaImage credit : pexels

हेल्थ डेस्क. नींद में खर्राटे लेना अब आम समस्या हो गई है,  ये इतनी आम हो गई है कि इस बीमरी को लोग सीरियसली नहीं लेते. हद तो ये है कि खर्राटों को सुनकर लोग समझते हैं कि अगला गहरी नींद में सो रहा है. हालांकि, स्लीप एक्सपर्ट्स ये स्थिति खतरनाक हो सकती है. ज्यादा खर्राटे लेने वाले लोगों को पैरालिसिस का खतरना बढ़ जाता है. आइए विस्तार से जानते हैं.

खर्राटे लेना यानी स्लीप एप्निया

साउथ ईस्ट एशियन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन के मुताबिक जब सांस की नली संकरी हो जाती है और ऑक्सीजन का फ्लो रुकने लग जाता है, तो खर्राटे आते हैं और कई बार-बार नींद भी टूटती है. यही स्लीप एप्निया होता है जो एक  स्लीपिंग डिसऑर्डर है. स्लीप एप्निया यानी नींद टूटने का सिलसिला अगर लंबे समय तक चलता है तो इससे डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और यहां तक पैरालिसिस होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है.

जरूरी नहीं की आपको स्लीप एप्निया हो

एक्सपर्ट कहते हैं कि देश की लगभग 9.5 प्रतिशत आबादी स्लीप एप्निया से ग्रस्त है. लेकिन यह जरूरी नहीं है कि आपको खर्राटे आ रहे हैं तो  स्लीप एप्निया ही हो. स्लीप एप्निया में सोते-सोते सांस कई बार रुक जाती है, जिससे शरीर का ऑक्सीजन लेवल भी ड्रॉप हो जाता है. इंदौर में शनिवार से साउथ ईस्ट एशियन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन (SEAASM) की दो दिवसीय बैठक हुई. इस बैठक में एक्सपर्ट्स ने नींद की समस्या और उससे जुड़ी बीमारियों पर बात की.