18 सितंबर से शुरू हुए संसद के विशेष सत्र के तीसरे दिन बुधवार को लोकसभा में ऐतिहासिक निर्णय हुआ। यहां महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) 454 वोटों के समर्थन से पास हो गया। वहीं बिल के विरोध में 2 वोट डाले गए। अब लोकसभा से पास होने के बाद यह बिल गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। राज्यसभा में बिल पास होते ही राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलते ही यह कानून बन जाएगा।
अब जानें कि आखिर क्या है महिला आरक्षण बिल?
बता दें कि नई संसद में कामकाज के पहले दिन यानी 19 सितंबर को महिला आरक्षण बिल पेश किया गया। इस बिल के मुताबिक, लोकसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही गई है। उदाहरण के तौर पर इस बिल के पूरी तरह से पास होते ही लोकसभा की 543 सीटों में से 181 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। शुरुआत में ये आरक्षण 15 साल तक लागू रहेगा। इसके बाद संसद चाहे तो इसकी अवधि को बढ़ा सकते हैं। है। यह आरक्षण सीधे चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए लागू होगा। यानी यह राज्यसभा पर लागू नहीं होगा।
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महिला आरक्षण बिल पर पक्ष-विपक्ष ने रखे विचार
महिला आरक्षण बिल पास होने से पहले 60 सांसदों ने इसपर अपने विचार रखे। राहुल गांधी ने महिला आरक्षण बिल को लेकर कहा कि ओबीसी आरक्षण के बिना यह बिल अधूरा है, जबकि अमित शाह ने कहा कि यह आरक्षण सामान्य, एससी और एसटी में समान रूप से लागू होगा। चुनाव के बाद तुरंत ही जनगणना और तमाम जरूरी प्रक्रिया पूरी होंगी और महिलाएं की भागीदारी जल्द ही सदन में बढ़ेगी। विरोध करने से रिजर्वेशन जल्दी नहीं आएगा।
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